पागल होने को राज़ी | Love madness

काव्यFAVORITESLOVE

उसकी जुल्फें, उसकी बातें ,
उसके दिन और उसकी रातें
उसकी गली का मैं मुसाफिर हूं,
जो कहे वो मुझे प्राण चाहिए ,
मैं कहूं, लो हाज़िर हूं ....

ये आकाश, वो बादल
वो तारे, वो चंदा,
और एक आशिक प्यार में अंधा
वो सब बस अफसाने है
देखो मुड़ के कभी गौर से
हम तेरे दीवाने हैं ....
ना सोच तू मेरे करीब आ
हम भी एक तरफा परवाने हैं

वो सूरज, उसकी गर्मी,
वो ठिठुरती रात, और तेरी बातों की नर्मी
चलो आज थोड़ी हवाबाज़ी हो जाए,
तुम मुझे इतना याद आओ
कि तुम्हारी याद में हम पागल होने को राज़ी हो जाएं।।

couple's love poem, mad love, lovers
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यह कविता एक एकतरफ़ा आशिक़ की भावनाओं को खूबसूरती से बयां करती है, जो अपनी चाहत में पूरी तरह डूब चुका है। वह उसकी हर बात, हर आदत, यहाँ तक कि उसकी गली को भी अपनी ज़िंदगी का हिस्सा मानता है। कविता में प्रकृति के प्रतीकों—सूरज, चाँद, बादल और रातों—के ज़रिए उसकी तड़प और दीवानगी को दर्शाया गया है। यह प्रेमी किसी अपेक्षा में नहीं, बस उसकी यादों में जीने को तैयार है।

आख़िर में वह इतना कहता है कि अगर यादों में ही रहना है, तो वो भी कुबूल है — बस उसकी याद आती रहे।

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