आज कल | These Days

काव्यFAVORITESLOVE

के हम भी आज कल छाने लगे हैं
अब तो सुर्खियों में भी आने लगें हैं,
इक बात के कई मतलब निकाल
हम भी शायर कहलाने लगें हैं।

पूछे जो प्रेम के बारे में कोई हमसे
तो हम भी अब मुस्कुराने लगे हैं,
अब राज़ रखना छोड़ चुके हैं हम
तेरे बारे में सरेआम बताने लगे हैं।

मोहब्बत किया तो डर कैसा
हम तो इश्क को भी इश्क समझाने लगे हैं,
जो खिलाफत ए इश्क का ऐतबार करते थे
अब तो वो भी किसी के लिए सिर झुकाने लगे हैं,
अब त्योहार का इंतजार भी नहीं करते हम जश्न को
जबसे हर एक पल मौज ए इश्क मनाने लगे हैं।

नाम जो जाना तुम्हारा, जान गई दुनिया सारी
अब तो हम भी तुम्हारे नाम_से_जाने जाने लगे हैं,
हम इस कदर सरेआम
इश्क जताने लगें हैं
बदनाम हुए हैं हम... तो गम क्या है
आलम तो यू है,
मशहूरी का जश्न मनाने लगे हैं।

a happy person enjoying his life to the fullest being in love.
a happy person enjoying his life to the fullest being in love.

यह कविता एक आशिक़ की बेखौफ मोहब्बत का ऐलान है। जो पहले कभी अपने इश्क़ को छुपाता था, अब उसे सरेआम बताने लगा है। अब न शर्म है, न डर — सिर्फ जश्न है इश्क़ का। शायर बनने का सफ़र, इश्क़ के असर से शुरू होता है और अब उसकी पहचान भी उसी नाम से जुड़ चुकी है जिसे वह चाहता है।

इस रचना में प्रेमी का आत्मविश्वास, समाज की सोच से बेपरवाह होना, और मोहब्बत की हर सांस में जश्न मनाना बड़ी शिद्दत से व्यक्त किया गया है। यह कविता इश्क़ को बुराई नहीं, गर्व मानने का साहसी इज़हार है।

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