चिरस्मरणीय | Unforgettable love
काव्यFAVORITESLOVE
- अपरिचित
हर पल ध्यान में बसने वाले लोग फ़साने हो जाते हैं
आँखें बूढ़ी हो जाती हैं, ख़्वाब पुराने हो जाते हैं
सारी बात मोहब्बत वाली पहली बेवफाई तक हैं
मैल दिलों में आ जाए तो घर वीराने हो जाते हैं
हर पल ध्यान में बसने वाले...
दिन अच्छे तो जीवन हसीन वक्त बुरा तो इंसान हलहीन
अपरिचित तो बाद, पहले अपने बेगाने हो जाते हैं
हर पल ध्यान में बसने वाले...
गैर ए-इश्क़ की आहट से ही हर इक चीज़ बदल जाती हैं
उम्रें पागल कर देती हैं , दिन दीवाने हो जाते हैं
हर पल ध्यान में बसने वाले...
बंद रखा संदूक में जिसकी ढेरों नाकामियां
उसी के चलते राज़ हमारे, जानें माने हो जाते हैं
हर पल ध्यान में बसने वाले...
द्वेष जो चाहत के भीतर हो, जोड़े बेगाने हो जाते हैं
खुद को एक बताने वाले भी अंजाने हो जाते हैं
हर पल ध्यान में बसने वाले...
दुनिया के इस शोर ने क्या-क्या हम से छीन लिया
ख़ुद से बात किए भी अब तो कई ज़माने हो जाते हैं
हर पल ध्यान में बसने वाले...
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निगाहों में हमारी अदा हैं रूहानी,
किसीको क्या पता होगा हमारी कहानी,
अनवरत हीं आंखों पे पलकें रख, नजरें चुराते हैं
कोई मेरे आंसू... देख ना लें,
इसलिए अक्सर हीं बारिश में भीगते नज़र आते हैं ।


यह कविता एक संवेदनशील हृदय की उन अनुभूतियों को दर्शाती है, जो अपनों की दूरी, रिश्तों की बेवफाई और समय के बेरहम बदलाव से टूट चुका है। कविता में यह स्पष्ट होता है कि जो कभी मन में बसते थे, वही अब फसाने बन गए हैं। हालात, मोहब्बत, रिश्ते — सब जब ढलते हैं तो इंसान अकेलेपन की ओर बढ़ता है।
वह अपने जज़्बात छुपाता है, मुस्कुराता है, लेकिन भीतर से पूरी तरह बिखरा हुआ होता है। अंत में, उसका दुख इतना निजी हो जाता है कि वह रोने के लिए भी बारिश का सहारा लेने लगता है — ताकि कोई उसका दर्द देख न सके।